कौउन है भैय्या भागम-भाग,
कौउन मचाये रेलम-रेल,
निपट गई है अब तो साँसे,
कोई तो मुझको दो धकेल.
सूरज छुपा है एक ओट,
ठिठुर ठिठुर के रात है बीती,
हाथी नाचे कम्बल ओढ़.
युवराज बसेरा झोपड़ में,
दांव लगाए चौपड़ में,
सबको सुनाये अपनी बद्कहाई,
निर्धन ने एक बनियान ना पाई.
शत्रु को ढूंढें फिरू,
रथ के पहिये जाम है,
अर्र्रे सरजी पेट्रोल के बहुत ज्यादा दाम है.
अर्र्रे सरजी पेट्रोल के बहुत ज्यादा दाम है.
किस्से किवदंती सुनाओ,
क्या बाबा, क्या गांधी,
दांत काटे, मिले ना पानी.