कौउन है भैय्या भागम-भाग,
कौउन मचाये रेलम-रेल,
निपट गई है अब तो साँसे,
कोई तो मुझको दो धकेल.
सूरज छुपा है एक ओट,
ठिठुर ठिठुर के रात है बीती,
हाथी नाचे कम्बल ओढ़.
युवराज बसेरा झोपड़ में,
दांव लगाए चौपड़ में,
सबको सुनाये अपनी बद्कहाई,
निर्धन ने एक बनियान ना पाई.
शत्रु को ढूंढें फिरू,
रथ के पहिये जाम है,
अर्र्रे सरजी पेट्रोल के बहुत ज्यादा दाम है.
अर्र्रे सरजी पेट्रोल के बहुत ज्यादा दाम है.
किस्से किवदंती सुनाओ,
क्या बाबा, क्या गांधी,
दांत काटे, मिले ना पानी.
7 comments:
Bundela to apna hai par ye rani kaha hai italy ki raj to india pe hi kar rahi hai.. :)
Right on time, new dimension(kavita) of yours..
Do Dhakel, Relam Pel, Akel Akel!
@Shilpi - Na Raani bachegi, na Bundela, sab aapas mein lad marenge.
@Amritash - Buss prayaas kiya hai bhai. LOL (Akel-Akel)
its an awesome blog reflecting current scenarios of indian politics.
kuch lines meri taraf se भ्रष्ट होना है जैसे एक भेड़चाल
आओ ठीक करें देश का हाल
बाँध के खादी से एक भ्रष्ट नेता को
दो खड्डे में ऐसे धकेल
पीछे पीछे आएँगे समर्थक
खत्म होगी ये रेलम पेल :)
@Megha & Ashish : I truely wish something happens like this.. Indian politics need a gr8888888 change.......
it is such a meaning full poem with a great creativity......salute sirji
Thats really a creative and a very nice try !!
Good to see you back in time with your writing skills :-)
Nice rhyming with so meaningful selection of words and infact I liked the pictures too you pasted with each paragraph :-)
All in all in your words " UTKRUSHT RACHNA " ;-)
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